NCERT Solutions for Chapter 3 वनस्पति जगत Class 11 Biology

Chapter 3 वनस्पति जगत NCERT Solutions for Class 11 Biology are prepared by our expert teachers. By studying this chapter, students will be to learn the questions answers of the chapter. They will be able to solve the exercise given in the chapter and learn the basics. It is very helpful for the examination.

एन.सी.आर.टी. सॉलूशन्स for Chapter 3 वनस्पति जगत Class 11 Biology

प्रश्न 1. शैवालों के वर्गीकरण का क्या आधार है?

उत्तर

शैवालों का वर्गीकरण मुख्यतया उनमें उपस्थित वर्णक (pigments), फ्लेजिला (flagella), संगृहीत खाद्य पदार्थ (storage food product) और कोशिका भित्ति की रासायनिक संरचना (chemical structure of cell wall) के आधार पर किया जाता है।


प्रश्न 2. लिवरवर्ट, मॉस, फर्न, जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्म के जीवन चक्र में कहाँ और कब निम्नीकरण विभाजन (reduction division) होता है?

उत्तर

लिवरवर्ट तथा मॉस में निम्नीकरण विभाजन कैप्सूल (capsule) की बीजाणु मातृ कोशा (spore mother cell) में होता है। फर्न में निम्नीकरण विभाजन स्पोरेन्जिया (sporangia) की बीजाणु मातृ कोशा (spore mother cell) में होता है। जिम्नोस्पर्म में निम्नीकरण विभाजन माइक्रोस्पोरेजियम (microsporangium) में माइक्रोस्पोर (परागकण) के निर्माण के समय तथा मेगास्पोरजियम में मेगास्पोर (megaspore) के निर्माण के समय होता है । एन्जियोस्पर्म में निम्नीकरण विभाजन परागकोश (anther) की माइक्रोस्पोरेन्जियम तथा अण्डाशय (ovule) की मेगास्पोरेन्जियम में होता है।


प्रश्न 3. पौधों के तीन वर्गों के नाम लिखिए जिनमें स्त्रीधानी (archaegonia) होती है। इनमें से किसी एक के जीवन चक्र का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

उत्तर

ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा तथा जिम्नोस्पर्म वर्ग के पौधों में स्त्रीधानी पाई जाती है।

मॉस (ब्रायोफाइट पादप) का जीवन-चक्र

इसकी प्रमुख अवस्था युग्मकोद्भिद् ( gametophyte) होती है। युग्मकोद्भिद् की दो अवस्थाएँ पाई जाती हैं-

(क) शाखामय, हरे, तन्तुरूपी प्रोटोनीमा (protonema) का निर्माण अगुणित बीजाणुओं के अंकुरण से होता है। इस पर अनेक कलिकाएँ विकसित होती हैं जो वृद्धि करके पत्तीमय अवस्था का निर्माण करती हैं।

(ख) पत्तीमय अवस्था पर नर तथा मादा जननांग समूह के रूप में बनते हैं। नर जननांग को पुंधानी (antheridium) तथा मादा जननांग को स्त्रीधानी (archegonium) कहते हैं। पुंधानी में द्विकशाभिक पुंमणु (antherozoids) तथा स्त्रीधानी में अण्डाणु (ovum) बनता है। निषेचन जल की उपस्थिति में होता है। पुमणु तथा अण्डाणु संलयन के फलस्वरूप द्विगुणित युग्मनज (oospore) बनाते हैं। युग्मनज से वृद्धि तथा विभाजन द्वारा द्विगुणित बीजाणुउद्भिद् (sporophyte ) का निर्माण होता है। यह युग्मकोद्भिद् पर अपूर्ण परजीवी होता है।

बीजाणुउद्भिद् के तीन भाग होते हैं-

  1. पाद (foot),
  2. सीटा (seta) तथा
  3. सम्पुट (capsule)।

सम्पुट के बीजाणुकोष्ठ में स्थित द्विगुणित बीजाणु मातृ कोशिकाओं से अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित बीजाणु (spores) बनते हैं। सम्पुट के स्फुटन से बीजाणु मुक्त हो जाते हैं। बीजाणुओं का प्रकीर्णन वा द्वारा होता है। अनुकूल परिस्थितियाँ मिलने पर बीजाणु अंकुरित होकर तन्तुरूपी, स्वपोषी प्रोटोनीमा (protonema) बनाते हैं।


प्रश्न 4. निम्नलिखित की सूत्रगुणता (ploidy) बताइए-

मॉस की प्रथम तन्तुक कोशिका, द्विबीजपत्री के प्राथमिक भ्रूणपोष का केन्द्रक, मॉस की पत्तियों की कोशिका, फर्न के प्रोथैलस की कोशिकाएँ, मारकेशिया की जेमा कोशिका, एकबीजपत्री की मेरिस्टेम कोशिका, लिवरवर्ट के अण्डाशय तथा फर्न के युग्मनज ।

उत्तर

इनकी सूत्रगुणता निम्नवत् है -

  1. मॉस की प्रथम तन्तुक कोशिका - अगुणित (Haploid-X)
  2. द्विबीजपत्री के प्राथमिक भ्रूणपोष का केन्द्रक - त्रिगुणित (Triploid-3X)
  3. मॉस की पत्तियों की कोशिका - अगुणित (Haploid-X)
  4. फर्न के प्रोथैलस की कोशिकाएँ - अगुणित (Haploid-x)
  5. मारकेंशिया की जेमा कोशिका - अगुणित (Haploid-x)
  6. एकबीजपत्री की मेरिस्टेम कोशिका - द्विगुणित (Diploid-2X)
  7. लिवरवर्ट का अण्डाशय - अगुणित (Haploid-X)
  8. फर्न का युग्मनज – द्विगुणित (Diploid-2X)

 

प्रश्न 5. शैवाल तथा जिम्नोस्पर्म के आर्थिक महत्त्व पर टिप्पणी लिखिए ।

उत्तर

शैवाल का आर्थिक महत्त्व

  1. भोजन के रूप में (Algae as Food): पृथ्वी पर होने वाले प्रकाश संश्लेषण का 50% शैवालों द्वारा होता है। शैवाल कार्बोहाइड्रेट, खनिज तथा विटामिन्स से भरपूर होते हैं। पोरफाइरा (Porphyra), एलेरिया (Alaria), अल्वा (Ulva), सारगासम (Sargassum), लेमिनेरिया (Laminaria) आदि खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।
    क्लोरेला (Chlorella) में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन्स तथा विटामिन्स पाए जाते हैं। इसे भविष्य के भोजन के रूप में पहचाना जा रहा है। इससे हमारी बढ़ती जनसंख्या की खाद्य समस्या के हल होने की पूरी सम्भावना है।
  1. शैवाल व्यवसाय में (Algae in Industry):
    (i)
    डायटम के जीवाश्म / मृत शरीर डायटोमेशियस मृदा (diatomaceous earth or Kiselghur) बनाते हैं। यह मृदा 1500°C ताप सहन कर लेती है। इसका उद्योगों में विविध प्रकार से उपयोग किया जाता है;
    जैसे — धातु प्रलेप, वार्निश, पॉलिश, टूथपेस्ट, ऊष्मारोधी सतह आदि ।
    (ii) कोन्ड्रस (Chondrus), यूक्यिमा (Eucheuma) आदि शैवालों से कैरागीनिन (carrageenin) प्राप्त होता है। इसका उपयोग श्रृंगार-प्रसाधनों, शैम्पू आदि बनाने में किया जाता है।
    (iii) एलेरिया (Alaria), लेमिनेरिया (Laminaria) आदि से एल्जिन (algin) प्राप्त होता है। इसका उपयोग अज्वलनशील फिल्मों, कृत्रिम रेशों आदि के निर्माण में किया जाता है। यह शल्य चिकित्सा के समय रक्त प्रवाह रोकने में भी प्रयोग किया जाता है।
    (iv) अनेक समुद्री शैवालों से आयोडीन, ब्रोमीन आदि प्राप्त की जाती है।
    (v) क्लोरेला से प्रतिजैविक (antibiotic) क्लोरेलीन ( chlorellin) प्राप्त होती है। यह जीवाणुओं को नष्ट करती है। कारा (Chara) तथा नाइटेला (Nitella) शैवालों की उपस्थिति से जलाशय के मच्छर नष्ट होते हैं; अतः ये मलेरिया उन्मूलन में सहायक होते हैं।
    (vi) लाल शैवालों से एगार- एगार (agar-agar) प्राप्त होता है, इसका उपयोग कृत्रिम संवर्धन के लिए किया जाता है।

जिम्नोस्पर्म का आर्थिक महत्त्व

  1. सजावट के लिए (Ornamental Plants) – साइकस, पाइनस, एरोकेरिया (Araucaria), गिंगो (Ginkgo), थूजा (Thuja), क्रिप्टोमेरिया (Cryptomeria) आदि पौधों का उपयोग सजावट के लिए किया जाता है।
  2. भोज्य पदार्थों के लिए (Plants of Food Value) – साइकस, जैमिया से साबूदाना (sago) प्राप्त होता है। चिलगोजा (Pinus gerardiana) के बीज खाए जाते हैं। नीटम (Gnetum), गिंगो (Ginkgo) व साइकस के बीजों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  3. फर्नीचर के लिए लकड़ी-चीड़ (Pinus), देवदार (Cedrus), कैल (Pinus wallichiana), फर (Abies) से प्राप्त लकड़ी का उपयोग फर्नीचर तथा इमारती लकड़ी के रूप में किया जाता है।
  4. औषधियाँ (Medicines) – साइकस के बीज, छाल व गुरुबीजाणुपर्ण को पीसकर पुल्टिस 'बनाई जाती है। टेक्सस ब्रेवफोलिया (Taxus brevfolia) से टेक्साल औषधि प्राप्त होती है। जिसका उपयोग कैन्सर में किया जाता है। थूजा (Thuja) की पत्तियों को उबालकर बुखार, खाँसी, गठिया रोग के निदान के लिए प्रयोग किया जाता है।
  5. एबीस बालसेमिया (Abies balsamea) से कैनाडा बालसम, जूनिपेरस (Juniperus) से सिडार वुड ऑयल (cedar wood oil), पाइनस से तारपीन का तेल प्राप्त होता है।

 

प्रश्न 6. जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्म दोनों में बीज होते हैं फिर भी उनका वर्गीकरण अलग-अलग क्यों है?

उत्तर

जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियोस्पर्म दोनों का वर्गीकरण अलग-अलग इसलिए किया जाता है क्योंकि जिम्नोस्पर्म में बीज नग्न (naked seeds) होते हैं, फल अनुपस्थित होते हैं, फूल अनुपस्थित होते हैं, भ्रूणपोष (endosperm अगुणित (haploid) होता है तथा निषेचन से पहले बनता है। द्विनिषेचन (double fertilization) अनुपस्थित होता है। वर्तिकाग्र (stigma ) अनुपस्थित होता है तथा स्त्रीधानी (archaegonia) पाई जाती है, जबकि एन्जियोस्पर्म के बीज फल से घिरे रहते हैं, फूल उपस्थित होते हैं, भ्रूणपोष त्रिगुणित (triploid) होता है तथा द्विनिषेचन के पश्चात् बनता है। वर्तिकाग्र (stigma) पाया जाता है तथा स्त्रीधानी (archaegonia) नहीं पाई जाती है।


प्रश्न 7. विषम बीजाणुकता क्या है? इसकी सार्थकता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। इसके दो उदाहरण दीजिए।

उत्तर

एक पौधे में दो प्रकार के बीजाणुओं (छोटा माइक्रोस्पोर तथा बड़ा मेगास्पोर) की उपस्थिति विषम बीजाणुकता (heterospory) कहलाती है। यह कुछ टेरिडोफाइट; जैसे— सिलेजीनेला (Selaginella), साल्वीनिया (Salvinia), मासीलिया (Marsilea ) आदि में तथा सभी जिम्नोस्पर्म व एन्जियोस्पर्म में पाई जाती है। विषम बीजाणुकता का विकास सर्वप्रथम टेरिडोफाइट में हुआ था। विषम बीजाणुकता बीज निर्माण प्रक्रिया की शुरूआत मानी जाती है जिसके फलस्वरूप बीज का विकास हुआ। विषम बीजाणुकता ने 'नर एवं मादा युग्मकोदभिद् (male and female gametophyte) के विभेदन में सहायता की तथा मादा युग्मकोद्भिद जो मेगास्पोरेजियम के अन्दर विकसित होता है कि उत्तरजीविता बढ़ाने में सहायता की।


प्रश्न 8. उदाहरण सहित निम्नलिखित शब्दावली का संक्षिप्त वर्णन कीजिए-

  1. प्रथम तन्तु,
  2. पुंधानी,
  3. स्त्रीधानी,
  4. द्विगुणितक,
  5. बीजाणुपर्ण तथा
  6. समयुग्मकी।

उत्तर

  1. प्रथम तन्तु (Protonema) – यह हरी, अगुणित (haploid), प्रकाश-संश्लेषी, स्वतन्त्र प्रारम्भिक युग्मकोद्भिद् (gametophytic) संरचना है जो मॉस (ब्रायोफाइट) में पाई जाती है। यह बीजाणुओं (spores) के अंकुरण से बनती है तथा नये युग्मकोद्भिद पौधे का निर्माण करती है।
  2. पुंधांनी (Antheridium) – यह बहुकोशिकीय, कवच युक्त (jacketed) नर जनन अंग (male sex organ) है जो ब्रायोफाइट व टेरिडोफाइट में पाया जाता है। पुंधानी में नर युग्मक (male gamete or antherozoids) बनते हैं।
  3. स्त्रीधानी (Archaegonium) – यह बहुकोशिकीय, फ्लास्क के समान मादा जनन अंग (female sex organ) है जो ब्रायोफाइट, टेरिडोफाइट तथा कुछ जिम्नोस्पर्म में पाई जाती है। यह ग्रीवा (neck) तथा अण्डया (venter) में विभाजित होती है। इसमें एक अण्ड (egg) बनता है।
  4. द्विगुणितक (Diplontic) – यह जीवन चक्र का एक प्रकार है जिसमें पौधा द्विगुणित (2n) होता है तथा इस पर युग्मकीय अर्धसूत्री विभाजन (gametic meiosis) द्वारा अगुणित (haploid) युग्मक (gametes) बनते हैं।
    उदाहरण: फ्युकस, सारगासमा।
  5. बीजाणुपर्ण (Sporophyll)  फर्न (टेरिडोफाइट) में बीजाणु (spores) बीजाणुधानियों (sporangia) में पाए जाते हैं। इन बीजाणुधानियों के समूह को सोरस (sorus) कहते हैं। ये पिच्छक या पत्ती (pinna or leaf) की नीचे की सतह (lower surface) पर मध्य शिरा (mid Ab) के दोनों ओर दो पंक्तियों में शिराओं के सिरे पर लगी रहती हैं। इन सोराई धारण करने वाली पत्तियों को बीजाणुपर्ण (sporophyll) कहते हैं।
  6. समयुग्मकी (Isogamy) – यह एक प्रकार का लैंगिक जनन है जिसमें संलयन करने वाले युग्मक (gametes) संरचना तथा कार्य में समान होते हैं। उदाहरण-यूलोथ्रिक्स (Ulothri), क्लेमाइडोमोनास (Chlamydomonas) तथा एक्टोकार्पस (Ectocarpas).


प्रश्न 9. निम्नलिखित में अन्तर कीजिए-

(i) लाल शैवाल तथा भूरे शैवाल

(ii) लिवरवर्ट तथा मौस

(iii) समबीजाणुक तथा विषमबीजाणुक टेरिडोफाइट

(iv) युग्मक संलयन तथा त्रिसंलयन

उत्तर

(i) लाल शैवाल तथा भूरे शैवाल में अन्तर

लाल शैवाल

भूरे शैवाल

क्लोरोफिल a व d पाया जाता है।

क्लोरोफिल व पाया जाता है तथा फ्यूकोजेन्थिन (fucoxanthin) पाया जाता है।

फाइकोबिलिन (phycobilins) उपस्थित होता है।

फाइकोबिलिन अनुपस्थित होता है।

संग्रहित भोजन फ्लोरीडियन स्टार्च (floredian starch) होता है।

संग्रहीत भोजन लेमिनेरिन (laminarin) होता है।

चलबीजाणु (motile spores) अनुपस्थित होते हैं।

चलबीजाणु उपस्थित होते हैं।

उदाहरण- पोलीसिफोनिया (Polysiphonia), पोरफायरा (Porphyra), ग्रेसिलेरिया (Gracilaria), जीलीडियम (Gelidium)।

उदाहरण-एक्टोकार्पस (Ectocarpus), डिक्टयोटा (Dictyota), लेमिनेरिया (Laminaria), सारगासम (Sargassum),फ्युकस (Fucus)।

 

(ii) लिवरवर्ट तथा मॉस में अन्तर

लिवरवर्ट

माँस

पादप शरीर, हरे, चपटे द्विपृष्ठचारी (dorsiventral) सूकाय (thallus ) के रूप में होता है|

युग्मकोद् भिद्  (gametophyte) दो अवस्थाओं में मिन्नित होता है-

(i) प्रोटोनिमा - यह प्रारम्भिक, हरी, तन्तुमय रचना है जो बीजाणु के अंकुरण से बनती है।

(ii) गेमिटोफोर - यह तना, पत्ती व मूलांग में विभाजित होता है।

मूलांग (rhizoids) एककोशिकीय (unicellular) होते हैं।

मूलांग बहुकोशिकीय होते हैं।

मूलांग प्रायः दो प्रकार के होते हैं- सपाट भित्ति वाले (smooth walled) तथा गुलीकीय (tuberculated)।

मूलांग शाखित (branched) होते हैं। इनमें तिरछे पट (oblique septa) होते हैं।

सूकाय (thallus) के अधर तल पर शल्क (scale) होते हैं।

शल्क अनुपस्थित होते हैं।

कैप्सूल (capsule) में इलेटर्स (elaters) पाए जाते हैं।

इलेटर्स अनुपस्थित होते हैं।

पेरीस्टोम दाँत (peristome teeth) अनुपस्थित होते हैं।

 

पेरीस्टोम दाँत पाए जाते हैं।

कॉल्युमेला (Columella) प्रायः अनुपस्थित होता है।

कैप्सूल में कॉल्युमेला पाया जाता है।

प्रोटोनीमा नहीं पाया जाता।

प्रोटोनीमा पाया जाता है।

 

(iii) समबीजाणुक तथा विषमबीजाणुक टेरिडोफाइट में अन्तर

समबीजाणुक टेरिडोफाइट

विषमबीजाणुक टेरिडोफाइट

सभी स्पोरेन्जिया (sporangia) समान होती हैं।

स्पोरेंजिया दो प्रकार की होती हैं-

(i) माइक्रोस्पोरेन्जिया (Microsporangia)

(ii) मैक्रोस्पोरेजिया (Macrosporangia)

स्पोर (spore) एक ही प्रकार के होते हैं।

स्पोर दो प्रकार के होते हैं-

बड़े मेगास्पोर (megaspore) तथा छोटे माइक्रोस्पोर (microspore)

युग्मकोद्भिद एक ही प्रकार का होता है।

गेमिटोफाइट दो प्रकार के होते हैं-

नर युग्मकोद्भिद् (male gametophyte) तथा मादा युग्मकोदुमिद (female gametophyte)

कोई विकासीय महत्त्व नहीं दर्शाते।

विकासीय महत्व दर्शाते हैं क्योंकि विषम बीजाणुकता, परागण (pollination) तथा बीज निर्माण (seed formation) के विकास की प्रथम अवस्था मानी जाती है।

उदाहरण- टेरिस (Pteris), एडिएन्टम (Adiantum)।

उदाहरण- सिलैजीनेला (Selaginella), साल्वीनिया (Salvinia), मार्सीलिया (Marsitea)

 

(iv) युग्मक संलयन तथा त्रिसंलयन में अन्तर

युग्मक संतयन

त्रिसंलयन

दोनों नर एवं मादा युग्मक (gametes) संलयन में भाग लेते हैं।

एक नर युग्मक (male gamete) तथा दो कायिक केन्द्रक (vegetative nuclei) संलयन में भाग लेते हैं।

युग्मक संलयन द्वारा द्विगुणित जाइगोट (diploid zygote) बनता है।

त्रिसंलयन द्वारा त्रिगुणित एण्डोस्पर्म (triploid endosperm) बनता है।

जाइगोट से भ्रूण निर्माण होता है।

एण्डोस्पर्म भोज्य पदार्थ के रूप में उपयोग होता है।

 

 

प्रश्न 10. एकबीजपत्री को द्विबीजपत्री से किस प्रकार विभेदित करोगे?

उत्तर

एकबीजपत्री व द्विबीजपत्री पौधे में अन्तर

एकबीजपत्री पौधे

द्विबीजपत्री पौधे

बीज में केवल एक बीजपत्र (cotyledon) होता है।

बीज में दो बीजपत्र होते हैं।

पुष्प के भाग तीन के गुणन में पाए जाते हैं (trimerous) ।

पुष्प के भाग 5 या 4 के गुणन में पाए जाते हैं (pentamerous or tetramerous)।

पत्तियों में समान्तर विन्यास (parallel venation) पाया जाता है।

पत्तियों में जालिकावत् विन्यास (reticulate venation) पाया जाता है।

प्राथमिक जड़ कम समय के लिए होती है। मूसला जड़ (tap root) अनुपस्थित होती है तथा झकड़ा जड़ (adventitious root) पाई जाती है।

प्राथमिक जड़ लम्बे समय तक रहती है तथा मूल तन्त्र का निर्माण करती है।

संवहन पूल (vascular bundles) बिखरे हुए (scattered) पाए जाते हैं।

संवहन बण्डल एक घेरे (ring) में पाए जाते हैं।

संवहन पूल बन्द प्रकार (closed vascular bundles ) के पाए जाते हैं।

संवहन पूल खुले प्रकार (open vascular bundles ) के पाए जाते हैं।

कैम्बियम (cambium) अनुपस्थित होता है।

कैम्बियम उपस्थित होता है।

द्वितीयक वृद्धि (secondary growth) नहीं पाई जाती।

द्वितीयक वृद्धि पाई जाती है।

तने में ऊतक तन्त्र विभेदित नहीं होता।

तना एपिडर्मिस, कॉर्टेक्स एण्डोडर्मिस, पेरीसाइकल, पिथ आदि में विभेदित होता है।

जड़ में पिथ हमेशा पाया जाता है।

जड़ में पिथ अनुपस्थित होता या सूक्ष्म होता है।

जड़ में संवहन बण्डल (vascular bundle) 8 से अधिक होते हैं।

जड़ में संवहन बण्डल 8 या कम होते हैं।

 

प्रश्न 11. स्तम्भ-I में दिए गए पादपों का स्तम्भ-II में दिए गए पादप वर्गों से मिलान कीजिए—

स्तम्भ-I (पादप)

स्तम्भ - II (वर्ग)

(a) क्लेमाइडोमोनास

(i) मॉस

(b) साइकस

(ii) टेरिडोफाइट

(c) सिलैजिनेला

(iii) शैवाल

(d) स्फेगनम

(iv) जिम्नोस्पर्म

उत्तर

(a) – (iii)

(b) – (iv)

(c) – (ii)

(d) (i)

 

प्रश्न 12. जिम्नोस्पर्म के महत्त्वपूर्ण अभिलक्षणों का वर्णन कीजिए।

उत्तर

जिम्नोस्पर्म के महत्त्वपूर्ण अभिलक्षण

ये सामान्यत: 'नग्नबीजी पौधे' कहलाते हैं। इनके मुख्य अभिलक्षण निम्नलिखित हैं-

  1. अधिकतर पौधे मरुद्भिदी, (xerophytic), काष्ठीय (woody), बहुवर्षीय (perennial) वृक्ष या झाड़ी होते हैं।
  2. पत्तियाँ प्रायः दो प्रकार की होती हैं— शल्क पर्ण और सत्य पर्ण (scale leaves and foliage leaves) । स्टोमेटा निचली सतह पर तथा गर्तों में स्थित होते हैं।
  3. तने में संवहन पूल (vascular bundles), संयुक्त (conjoint), कोलेटरल (collateral) तथा खुले (open) होते हैं।
  4. जाइलम (xylem) में वाहिकाओं (vessels) तथा फ्लोएम (phloem) में सह कोशिकाओं (companion cells) का अभाव होता है।
  5. पौधे विषमबीजाणुक (heterosporous ) होते हैं- लघुबीजाणु (microspores) तथा गुरुबीजाणु (megaspores)
  6. पुष्प शंकु (cones) कहलाते हैं। प्रायः नर और मादा शंकु अलग-अलग होते हैं। पौधे एकलिंगाश्रयी (monoecious) होते हैं। नर शंकु का निर्माण लघुबीजाणुपण (micro- sporophylls) तथा मादा शंकु का निर्माण गुरुबीजाणुपण से होता है।
  7. नर युग्मकोद्भिद् (male gametophyte) अत्यन्त हासित (reduced) होता है। परागनलिका (pollen tube) बनती है।
  8. मादा युग्मकोद्भिद् (female gametophyte) एक गुरुबीजाणु (megaspore) से बनता है। यह बहुकोशिकीय (multicellular) होता है। यह पोषण के लिए पूर्णतः बीजाणुद्भिद् पर निर्भर करता है।
  9. भ्रूणपोष अगुणित होता है। यह निषेचन से पहले बनता है।
  10. इन पौधों में सामान्यत: वायु परागण (wind pollination) होता है।
  11. प्राय: बहुभ्रूणता (polyembryony) पाई जाती है; किन्तु अंकुरण के समय केवल एक ही भ्रूण विकसित होता है।
  12. नग्न बीजाण्ड से निषेचन तथा परिवर्द्धन के बाद नग्न बीज बनाता है। फल (fruits) नहीं बनते।   

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