NCERT Solutions for Chapter 2 प्रवास प्रकार, कारण और परिणाम Class 12 Geography (India- People and Economy)

Chapter 2 प्रवास प्रकार, कारण और परिणाम NCERT Solutions for Class 12 Geography (India- People and Economy) are prepared by our expert teachers. By studying this chapter, students will be to learn the questions answers of the chapter. They will be able to solve the exercise given in the chapter and learn the basics. It is very helpful for the examination.

एन.सी.आर.टी. सॉलूशन्स for Chapter 2 प्रवास प्रकार, कारण और परिणाम Class 12 भूगोल (भारत- लोग और अर्थव्यवस्था )

प्रश्न 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए ।


(i) निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में पुरुष प्रवास का मुख्य कारण है? (क) शिक्षा

(ख) काम और रोज़गार

(ग) व्यवसाय

(घ) विवाह

उत्तर

(ख) काम और रोज़गार


(ii) निम्नलिखित में से किस राज्य से सर्वाधिक संख्या में आप्रवासी आते हैं?

(क) उत्तर प्रदेश

(ख) महाराष्ट्र

(ग) दिल्ली

(घ) बिहार

उत्तर

(क) उत्तर प्रदेश


(iii) निम्नलिखित में से कौन सा भारत में महिला प्रवास का प्रमुख कारण हैं

(क) शिक्षा

(ख) व्यवसाय

(ग) काम और रोजगार

(घ) विवाह

उत्तर 

(घ) विवाह


प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।


(i) जीवनपर्यंत प्रवासी और पिछले निवास के अनुसार प्रवासी में अंतर स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर

जब किसी व्यक्ति के जन्म का स्थान गणना के स्थान से भिन्न होता है, ऐसे व्यक्ति को जीवनपर्यंत प्रवासी के नाम से जाना जाता है। जबकि यदि किसी व्यक्ति के निवास का पिछला स्थान गणना के स्थान से भिन्न होता है। तब उसे पिछले निवास के आधार पर प्रवासी माना जाता है।


(ii) पुरुष/स्त्री चयनात्मक प्रवास के मुख्य कारण की पहचान कीजिए।

उत्तर

ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष चयनात्मक बाह्य प्रवास के कारण पत्नियाँ पीछे छूट जाती हैं। जिससे उन पर अतिरिक्त शारीरिक व मानसिक दबाव पड़ता है। अत: प्रवास स्त्रियों के जीवन स्तर को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित करता है।


(iii) उद्गम और गंतव्य स्थान की आयु एवं लिंग संरचना पर ग्रामीण-नगरीय प्रवास का क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर

प्रवास से देश के अंदर जनसंख्या का पुनर्वितरण होता है। ग्रामीण-नगरीय प्रवास से नगरों में युवा पुरुष जनसंख्या में वृद्धि हो जाती है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों से युवा आयु वर्ग के कुशल व दक्ष लोगों का बाह्य प्रवास नगरों की ओर होता है। उत्तरांचल, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा पूर्वी महाराष्ट्र से होने वाले बाह्य प्रवास से इन राज्यों की आयु व लिंग संरचना में भारी असंतुलन हो जाता है।


प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।


(i) भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के कारणों की विवेचना कीजिए ।

उत्तर

भारत में अंतर्राष्ट्रीय प्रवास के दो स्तर हैं

  1. उत्प्रवास भारत से बाह्य देशों की ओर प्रवास,
  2. आप्रवास- बाह्य देशों से भारत की ओर प्रवास |

2001 ई० की जनगणना के अनुसार भारतीय डायास्पोरा के लगभग 2 करोड़ लोग ऐसे हैं जो 110 देशों में जाकर बसे हैं। बेहतर अवसरों की तलाश में भारत से बड़ी संख्या में लोग मध्य-पूर्व व पश्चिमी यूरोप के देशों, अमेरिका, आस्ट्रेलिया व पूर्वी एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया में प्रवास करते रहे हैं। भारत से लोगों के प्रसार के तीन चरण स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं प्रथम चरण - उपनिवेश काल- इस दौरान अंग्रेजों द्वारा उत्तर प्रदेश तथा बिहार से करारबद्ध लाखों श्रमिकों को भारतीय उत्प्रवास अधिनियम (गिरमिट एक्ट) के अंतर्गत रोपण कृषि में काम करने हेतु मॉरीशस, कैरेबियन द्वीपों, फिजी और दक्षिणी अफ्रीका, फ्रांसीसियों व जर्मनों द्वारा रियूनियन द्वीप, गुआडेलोप, मार्टीनीक तथा सूरीनाम, डच व पुर्तगालियों द्वारा गोवा, दमन व दीव तथा अंगोता, मोजांबिक न अन्य देशों में भेजा जाता था। इन करारबद्ध मजदूरों के जीवन की दशाएँ दासों से बेहतर नहीं थी । द्वितीय चरण - प्रवासियों की दूसरी तरंग आधुनिक समय में व्यावसायियों, शिल्पियों, व्यापारियों और फैक्टरी मजदूरों के रूप में आर्थिक अवसरों की तलाश में निकटवर्ती देशों-पाइलेंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया व ब्रूनेई आदि देशों में व्यवसाय हेतु गये। यह प्रवृत्ति अब भी जारी है। तृतीय चरण - प्रवासियो की तीसरी तंरग (1960 के बाद) डॉक्टरों, अभियंताओं, सॉफ्टवेयर इंजिनियरों, प्रबंधन परामर्शदाताओं, वित्तीय विशेषज्ञों, संचार माध्यमों से जुड़े व्यक्तियों ने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाड़ा, यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व जर्मनी आदि में प्रवास किया है। यह सर्वाधिक शिक्षित व उच्च अर्जक जनसंख्या है। भारत में अन्य देशों से 50 लाख व्यक्तियों का आप्रवास हुआ है। इनमें से 96% पड़ोसी देशों - बांग्लादेश ( 30 लाख) पाकिस्तान (9 लाख), नेपाल (5 लाख) इनमें तिब्बत, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान व म्यांमार से आये 1.6 लाख शरणार्थी भी शामिल है।


(ii) प्रवास के सामाजिक जनांकिकीय परिणाम क्या-क्या हैं?

उत्तर

प्रवास के सामाजिक परिणाम -

प्रवास से विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का अंतर्मिश्रण होता है। नवीन प्रौद्योगिकी, परिवार नियोजन व बालिका शिक्षा इत्यादि से संबंधित नए विचार प्रवासियों द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर विसरित होते हैं इससे संकीर्ण विचारों का भेदन होता है, साथ ही विभिन्न संस्कृतियों के अच्छे गुणों व विशेषताओं से परिचय होता है। किंतु इसके गुमनामी जैसे गंभीर नकारात्मक परिणाम भी होते हैं जो व्यक्तियों में सामाजिक निर्वात तथा खिन्नता की भावना भर देते हैं। खिन्नता की सतत् भावना लोगों को अपराध और औषध दुरुपयोग (Drug Abuse) जैसी असामाजिक गतिविधियों में संलग्न होने के लिए प्रेरित करती है। जनांकिकीय परिणाम - प्रवास से देश के अंतद जनसंख्या का पुनर्वितरण होता है। प्रवास के कारण ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में लिंग अनुपात असंतुलित हो जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षित, प्रशिक्षित, कुशल व दक्ष युवा लोगों । को पलायेन वहाँ के जनांकिकीय संघटन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। उत्तराखंड, राजस्थान, मध्यप्रदेश व पूर्वी महाराष्ट्र से होने वाले बाह्य प्रवास ने इन राज्यों की आयु एवं लिंग संरचना में गंभीर असंतुलन पैदा कर दिया है। ऐसा ही असंतुलन उन राज्यों व नगरों में भी उत्पन्न हो गया है जहाँ ये प्रवासी बसते हैं। अतः प्रवासियों के उद्गम व गंतव्य स्थानों पर लिंग अनुपात व आयु संरचना के अनुपात में भारी असंतुलन पैदा हो जाता है।

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