NCERT Solutions for Chapter 3 मानव विकास Class 12 Geography (India- People and Economy)
एन.सी.आर.टी. सॉलूशन्स for Chapter 3 मानव विकास Class 12 भूगोल (भारत- लोग और अर्थव्यवस्था )
प्रश्न 1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए ।
(i) मानव विकास सूचकांक (2011) के संदर्भ में विश्व के देशों में भारत की निम्नलिखित में से कौन-सी कोटि थी?
(क) 126
(ख) 134
(ग) 128
(घ) 129
उत्तर
(ख) 134
(ii) मानव विकास सूचकांक में भारत के निम्नलिखित राज्यों से किस एक की कोटि उच्चतम है?
(क) तमिलनाडु
(ख) पंजाब
(ग) केरल
(घ) हरियाणा
उत्तर
(ग) केरल
(iii) भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में स्त्री साक्षरता निम्नतम है?
(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) अरुणाचल प्रदेश
(ग) झारखंड
(घ) बिहार
उत्तर
(घ) बिहार
(iv) भारत के निम्नलिखित राज्यों में से किस एक में 0.6 आयु वर्ग के बच्चों में लिंग अनुपात निस्रतम है?
(क) गुजरात
(ख) हरियाणा
(ग) पंजाब
(घ) हिमाचल प्रदेश
उत्तर
(घ) हरियाणा
(v) भारत के निम्नलिखित केंद्र शासित प्रदेशों में से किस एक की साक्षरता दर उच्चतम है? (क) लक्षद्वीप
(ख) चंडीगढ़
(ग) दमन और दीव
(घ) अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
उत्तर
(क) लक्षद्वीप
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।
(i) मानव विकास को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर
"मानव विकास, स्वस्थ भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।"
(ii) उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के निम्न स्तर के दो कारण बताइए ।
उत्तर
देश के प्रमुख 15 राज्यों में उत्तरी भारत के बिहार, असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल व राजस्थान ऐसे राज्य हैं जहाँ मानव विकास निम्न स्तर पर है। इसके प्रमुख कारणों में साक्षरता व आर्थिक विकास का निम्न स्तर है। इसके अलावा सामाजिक-राजनीतिक व ऐतिहासिक कारण भी इसके लिए उत्तरदायी हैं।
(iii) भारत के बच्चों में घटते लिंगानुपात के दो कारण बताइए ।
उत्तर
भारत में स्त्री लिंगानुपात घट रहा है, विशेष रूप से 0-6 आयु वर्ग के बच्चों के लिंग अनुपात के संबंध में यह बहु ही अवांछनीय हैं। केरल, जहाँ साक्षरता दर भारत में सर्वोच्च है, के अलावा सभी राज्यों में बच्चों को लिंग अनुपात घटा है। पंजाब व हरियाणा जैसे विकसित राज्यों में यह सबसे अधिक चिंताजनक प्रति हजार बालकों पर 800 से भी कम बालिकायें हैं। लिंग निर्धारण की वैज्ञानिक विधियों का उपयोग व सामाजिक दृष्टिकोण प्रमुख कारक हैं।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।
(i) भारत में 2001 के स्त्री साक्षरता के स्थानिक प्रारूपों की विवेचना कीजिए और इसके लिए उत्तरदायी कारणों को समझाइए ।
उत्तर
भारत में (जनगणना 2001 के अनुसार) कुल साक्षरता दर लगभग 65.4 प्रतिशत है जबकि स्त्री साक्षरता 54, 16 प्रतिशत है। दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में कुल साक्षरता और महिला साक्षरता राष्ट्रीय औसत से ऊँची है। भारत के राज्यों में साक्षरता दर में व्यापक प्रादेशिक असमानता पाई जाती है। यहाँ बिहार जैसे राज्य भी हैं जहाँ साक्षरता दर बहुत कम 47.53% है तथा केरल और मिजोरम जैसे राज्य भी हैं जिनमें साक्षरता दर क्रमशः 90.92% और 88.49% है। स्थानिक भिन्नताओं के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में, स्त्रियों में, अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों में, कृषि मजदूरों में, तथा हमारे समाज के अन्य सीमांत वर्गों में साक्षरता का प्रतिशत बहुत ही कम है। यद्यपि सीमांत वर्गों में साक्षरों का प्रतिञ्चत सुधरा है फिर भी धनी और सीमांत वर्गों की जनसंख्या के बीच यह अंतर समय के साथ बढ़ा है।
(ii) भारत के 15 प्रमुख राज्यों में मानव विकास के स्तरों में किन कारकों ने स्थानिक भिन्नता उत्पन्न की है।
उत्तर
भारत के 15 प्रमुख राज्यों में मानव विकास के स्तरों में स्थानिक भिन्नता देखने को मिलती है। इन परिस्थितियों के लिए अनेक सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और ऐतिहासिक कारण उत्तरदायी है। केरल के मानव विकास सूचकांक का उच्चतम मूल्य, साक्षरता दर शत-प्रतिशत के आसपास (90.92 प्रतिशत) प्राप्त करने के लिए किए गए प्रभावी कार्यशीलता के कारण है। इसके विपरीत बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, असम और उत्तर प्रदेश जैसे निम्न साक्षरता वाले राज्य हैं। ध्यान रहे उच्चतर साक्षरता दर दर्शाने वाले राज्यों में पुरुष और स्त्री साक्षरता दर के बीच कम अंतर पाया गया है। शैक्षिक उपलब्धियों के अतिरिक्त आर्थिक विकास भी मानव विकास सूचकांक पर सार्थक प्रभाव डालता है। आर्थिक दृष्टि से विकसित राज्यों के मानव विकास सूचकांक का मूल्य अन्य राज्यों की तुलना में ऊँचा है। उपनिवेश काल में विकसित प्रादेशिक विकृतियों और सामाजिक विषमताएँ अब भी भारत की अर्थव्यवस्था, राजतंत्र व समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।