Chapter 11 चेतक की वीरता Summary for Class 6 Hindi NCERT मल्हार
Summary of Chapter 11 Chetak ki Veerata Class 6 Hindi
'चेतक की वीरता' कविता, श्यामनारायण पाण्डेय की सर्वाधिक लोकप्रिय काव्यकृति 'हल्दीघाटी' का एक अंश है। यह कविता महाराणा प्रताप के वीर घोड़े चेतक की बहादुरी और वीरता का वर्णन करती है। यह कविता वीर रस में रची गई है और इसमें चेतक के अदम्य साहस और रणभूमि में उसके अद्वितीय कौशल का उल्लेख है।
चेतक की वीरता कविता का सार
'चेतक की वीरता' कविता में कवि ने चेतक की वीरता और उसकी अद्वितीय क्षमता का वर्णन किया है। चेतक युद्ध के मैदान में चौकड़ी भरकर अथवा छलांग लगाकर अपनी वीरता को दिखाता है, उसके चलने के तीव्र गति से ऐसा प्रतीत होता है जैसे मानो वह हवा से बातें कर रहा हो अथवा हवा का सामना कर रहा हो ।
राणा प्रताप का कोड़ा चेतक के तन पर कभी भी नहीं गिरता था, क्योंकि वह इतना समझदार था कि अपने स्वामी की आज्ञा को भली-भाँति समझ जाता था। वह शत्रुओं के मस्तक पर इस तरह से आक्रमण करता था जैसे मानो कोई आसमान से घोड़ा ज़मीन पर उतर आया हो अर्थात वह बहुत तेजी से अपने शत्रुओं के सिर पर प्रहार करता था।
अगर हवा के माध्यम से भी घोड़े की लगाम जरा-सी भी हिल जाती थी तो वह तुरंत अपनी सवारी को लेकर अर्थात राणा प्रताप को लेकर तीव्र गति से उड़ जाता था। अर्थात बहुत तेजी से दौड़ने लगता था । राणा प्रताप को जिस तरह मुड़ना होता वह उनकी आँखों के पुतली के घुमने से पूर्व ही चेतक उस दिशा में मुड़ जाता था, कहने का तात्पर्य यह है कि चेतक अपने स्वामी की हर प्रतिक्रिया को भली-भाँति समझ जाता था।
चेतक अपनी कौशलता और वीरता का परिचय अपनी चाल के द्वारा दिखाता । तीव्र गति से दौड़ना और निडर होकर अपने शत्रुओं पर आक्रमण करना यह उसकी वीरता का स्मारक था। वह निडर होकर युद्ध के समय में भयानक भालों और तलवारों से सुसज्जित सेनाओं के बीच में जाकर उन पर प्रहार करता और नहरों-नालों आदि को पार करता हुआ सरपट अर्थात बहुत तेज गति से बाधाओं में फँसने के बाद भी वह निकल जाता ।
युद्ध के क्षेत्र में ऐसा कोई स्थान नहीं था जहाँ पर चेतक ने अपने शत्रुओं पर प्रहार न किया हो। वह किसी एक स्थान पर दिखता तो पर जैसे ही शत्रु उस पर आक्रमण करने के लिए वहाँ पहुँचते तो वह वहाँ से तुरंत गायब हो जाता फिर वह कहीं दूसरी जगह दिखता। ठीक उसी प्रकार बाद में वहाँ से भी गायब हो जाता। अतः वह युद्ध के सभी स्थलों पर अपनी वीरता का परचम लहराता था ।
वह नदी की लहरों की भाँति आगे बढ़ता गया। वह जहाँ भी जाता कुछ क्षण के लिए रुक जाता फिर अचानक विकराल, बिजली की चमक की तरह बादल का रूप धारण करके अपने दुश्मनों पर प्रहार करता ।
घोड़े की टापों से दुश्मन पूरी तरह से घायल हो गए। उनके भाले और तरकस सभी ज़मीन पर पड़े थे। चेतक की वीरता का ऐसा पराक्रम देखकर बैरी दल दंग रह गया ।
कविता की घटनाएं
- चेतक की असाधारण गति: कविता की शुरुआत में, कवि चेतक की असाधारण गति का वर्णन करते हैं। चेतक इतनी तेज़ दौड़ता था कि वह मानो हवा से भी आगे निकल जाता था। उसकी गति इतनी तेज थी कि उसे देखकर लगता था कि वह जमीन पर नहीं, बल्कि आकाश में दौड़ रहा हो। यह चित्रण चेतक की अभूतपूर्व ताकत और चुस्ती को दर्शाता है।
- स्वामीभक्ति और युद्ध कौशल: चेतक न केवल एक तेज़ दौड़ने वाला घोड़ा था, बल्कि वह महाराणा प्रताप का सबसे वफादार साथी भी था। युद्ध के दौरान जब भी महाराणा प्रताप पर कोई खतरा आता, चेतक बिना किसी डर के दुश्मनों के बीच घुसकर अपने स्वामी को सुरक्षित निकाल लेता था। उसकी बहादुरी और स्वामी के प्रति निष्ठा का कोई मुकाबला नहीं था।
- रणभूमि में चेतक का साहस: कवि ने चेतक के साहस का वर्णन करते हुए बताया है कि वह रणभूमि में दुश्मनों की सेना पर बिना रुके टूट पड़ता था। चेतक की वीरता को इस प्रकार चित्रित किया गया है कि वह दुश्मन के भालों और तलवारों के बीच बिना किसी भय के दौड़ता और महाराणा प्रताप को सुरक्षित रखता था। उसकी चालें इतनी तेज़ और अनोखी थीं कि दुश्मन भी उसे देखकर दंग रह जाते थे।
कविता से शिक्षा
'चेतक की वीरता' कविता हमें अदम्य साहस, वीरता और निर्भीकता की शिक्षा देती है। यह कविता यह भी सिखाती है कि विपरीत परिस्थितियों में भी हमें हार नहीं माननी चाहिए और अपने कौशल और साहस के बल पर विजय प्राप्त करनी चाहिए।
कवि परिचय
रस की कविताओं के लिए चर्चित कवि श्यामनारायण पाण्डेय की सर्वाधिक लोकप्रिय काव्यकृति ‘हल्दीघाटी’ का प्रकाशन सन 1939 में हुआ था। अभी आपने जो ‘चेतक की वीरता’ कविता पढ़ी है, वह ‘हल्दीघाटी’ का ही एक अंश है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम वर्षों में ‘हल्दीघाटी’ काव्यकृति ने स्वतंत्रता सेनानियों में सांस्कृतिक एकता और उत्साह का संचार कर दिया था।