Extra Question Answer for Chapter 2 गोल Class 6 Hindi NCERT मल्हार

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Extra Question Answer for Chapter 2 गोल Class 6

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True/False (सही/गलत)

प्रश्न 1. खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक की घटनाएँ नहीं होतीं।
गलत


प्रश्न 2. ध्यानचंद ने अपना बदला गुस्से से लिया।
गलत


प्रश्न 3. ध्यानचंद का जन्म 1904 में प्रयाग में हुआ था।
सही



प्रश्न 4. ध्यानचंद ने 1936 के बर्लिन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता।
सही



प्रश्न 5. ध्यानचंद को 'हॉकी का जादूगर' कहा जाता था।
सही


बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

प्रश्न 1. ध्यानचंद का जन्म किस वर्ष हुआ था?

(a) 1904
(b) 1905
(c) 1906
(d) 1907

उत्तर

(a) 1904



प्रश्न 2. 'माइनस टीम' के खिलाड़ी ने ध्यानचंद के सिर पर क्या मारा था?

(a) फुटबॉल
(b) क्रिकेट बैट
(c) हॉकी स्टिक
(d) बास्केटबॉल

उत्तर

(c) हॉकी स्टिक



प्रश्न 3. ध्यानचंद को किस उपाधि से नवाज़ा गया था?

(a) खेल रत्न
(b) हॉकी का जादूगर
(c) ओलंपिक विजेता
(d) राष्ट्रीय खिलाड़ी

उत्तर

(b) हॉकी का जादूगर



प्रश्न 4. ध्यानचंद की आत्मकथा का नाम क्या है?

(a) खेल
(b) गोल
(c) हॉकी
(d) खिलाड़ी

उत्तर

(b) गोल



प्रश्न 5. ध्यानचंद ने 1936 के ओलंपिक में कितने गोल किए थे?

(a) चार
(b) पांच
(c) छह
(d) सात

उत्तर

(c) छह


रिक्त स्थान भरें (Fill in the blanks)

1. ध्यानचंद का जन्म _____ में हुआ था।

2. 'माइनस टीम' के खिलाड़ी ने ध्यानचंद के _____ पर हॉकी स्टिक मारी।

3. 1936 के बर्लिन ओलंपिक में ध्यानचंद ने ______ गोल किए।

4. ध्यानचंद ने अपनी आत्मकथा का नाम _____ रखा।

5. भारत ध्यानचंद के जन्मदिन को _____ के रूप में मनाता है।

उत्तर

1. 1904

2. सिर

3. छह

4. गोल

5. राष्ट्रीय खेल दिवस


अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ध्यानचंद जी सफलता का मूलमंत्र क्या था ?

उत्तर

ध्यानचंद की सफलता का मूलमंत्र लगन, साधना और खेल भावना था।


प्रश्न 2. पाठ का नाम ‘गोल’ क्यों रखा गया है?

उत्तर

पाठ का नाम गोल इसलिए रखा गया है क्योंकि हॉकी के मैच की हार-जीत टीम द्वारा किए गए गोल पर निर्भर होती है।


प्रश्न 3. बर्लिन ओलंपिक में जब ध्यानचंद कप्तान बने तो वे सेना के किस पद पर थे ?

उत्तर

बर्लिन ओलंपिक में जब ध्यानचंद कप्तान बने तो वे ‘लांस नायक’ के पद पर थे।


प्रश्न 4. भारत का सर्वोच्च ‘खेल रत्न’ पुरस्कार किसके नाम पर दिया जाता है?

उत्तर

भारत का सर्वोच्च ‘खेल रत्न’ पुरस्कार ध्यानचंद के नाम पर दिया जाता है।


प्रश्न 5. सेना में भर्ती होने के समय ध्यानचंद की आयु कितनी थी?

उत्तर

सेना में भर्ती होने के समय ध्यानचंद की आयु मात्र सोलह वर्ष की थी।


प्रश्न 6. ध्यानचंद का जन्मदिन किस रूप में मनाया जाता है?

उत्तर

ध्यानचंद का जन्मदिन ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।


प्रश्न 7. सन् 1933 में ध्यानचंद किस रेजीमेंट की ओर से खेलते थे?

उत्तर

सन् 1933 में ध्यानचंद ‘पंजाब रेजीमेंट’ की ओर से खेलते थे।


लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ध्यानचंद ने कब और कैसे ‘हॉकी’ खेलना शुरू किया?

उत्तर

अपनी 16 वर्ष की आयु में ध्यानचंद ‘फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट’ में सिपाही के रूप में भर्ती हुए। टीम के सूबेदार मेजर तिवारी थे, उन्होंने ध्यानचंद को क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया। पहले तो वे नौसिखिए की भाँति खेलते थे लेकिन धीरे-धीरे उनके खेल में निखार आता गया।


प्रश्न 2. ध्यानचंद का बदला लेने का ढंग क्या था?

उत्तर

ध्यानचंद विरोधी टीम से पिटाई का बदला उसकी पिटाई करके नहीं लेते थे, अपितु वे उस खिलाड़ी के जोश और उसकी विचार–शक्ति को कम करके लेते थे।


प्रश्न 3. ध्यानचंद में अच्छे खिलाड़ी होने के कौन-से विशेष गुण थे?

उत्तर

ध्यानचंद में अच्छे खिलाड़ी होने के निम्नलिखित गुण थे-
(क) वे लगन, साधना और पूर्ण खेल भावना से खेलते थे।
(ख) वे जीतने का श्रेय स्वयं न लेकर पूरी टीम को देते थे।
(ग) वे अपना नहीं बल्कि अपने देश का नाम करना चाहते थे।


प्रश्न 4. ध्यानचंद ने अपनी चोट का बदला लेने के लिए क्या किया?

उत्तर

ध्यानचंद पट्टी बाँधकर फिर से मैदान में आ गए। उन्होंने लगातार छह गोल करके अपनी प्रतिद्वंदी टीम को बुरी तरह हराकर बदला लिया।


प्रश्न 5. ध्यानचंद को ‘हॉकी के जादूगर’ की उपाधि क्यों मिली?

उत्तर

सन् 1936 में बर्लिन ओलंपिक में जब उन्हें कप्तान बनाया गया तो वे सेना में ‘लांस नायक’ के पद पर थे। लोग उनके खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहना शुरू कर दिया ।

 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. लेखक को लगी चोट के विषय में विस्तार से बताइए ।

उत्तर

सन् 1933 की बात है। उन दिनों लेखक पंजाब रेजिमेंट की तरफ से खेला करते थे। एक दिन ‘पंजाब रेजिमेंट’ और ‘सैंपर्स एंड माइनर्स’ टीम के बीच मुकाबला हो रहा था। माइनर्स टीम के खिलाड़ी लेखक से गेंद छीनने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन उनकी कोशिश बेकार हो रही थी। इतने में एक खिलाड़ी ने गुस्से में आकर हॉकी स्टिक लेखक के सिर पर दे मारी। लेखक को मैदान से बाहर ले जाया गया।


प्रश्न 2. खेल जगत में ध्यानचंद का नाम विस्मरणीय है- कैसे?

उत्तर

खेल जगत में ध्यानचंद का नाम अविस्मरणीय रहेगा। उनकी उपाधि ‘हॉकी का जादूगर’ कोई और शायद कभी न प्राप्त कर पाएगा। ओलंपिक खेलों में भारत को प्रथम स्वर्ण पदक ध्यानचंद के प्रयासों से ही प्राप्त हुआ। वे अपनी नहीं बल्कि देश की जीत को सर्वोपरि मानते थे।
यही कारण है कि उनका जन्मदिन ‘राष्ट्रीय खेल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है और भारत का सर्वोच्च खेल पुरस्कार ‘खेल रत्न’ उनके नाम पर दिया जाता है ।


प्रश्न 3. ध्यानचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ कहना कब से प्रारंभ कर दिया गया ?

उत्तर

जैसे-जैसे लेखक के खेल में निखार आता गया, वैसे-वैसे उन्हें तरक्की मिलती गई। सन् 1936 में बर्लिन ओलंपिक में उन्हें कप्तान बनाया गया। उस समय वे सेना में लांस नायक थे। बर्लिन ओलंपिक में लोग ध्यानचंद के हॉकी खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हए कि उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहने लगे ।


अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

निम्नांकित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही उत्तर लिखिए या चुनिए-

प्रश्न 1.

मेरा जन्म सन् 1904 में प्रयाग में एक साधारण परिवार में हुआ। बाद में हम झाँसी आकर बस गए। 16 साल की उम्र में मैं ‘फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट’ में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हो गया। मेरी रेजिमेंट का हॉकी खेल में काफी नाम था। पर खेल में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं थी। उस समय हमारी रेजिमेंट के सूबेदार मेजर तिवारी थे। वे बार-बार मुझे हॉकी खेलने के लिए कहते। हमारी छावनी में हॉकी खेलने का कोई निश्चित समय नहीं था सैनिक जब चाहे मैदान में पहुँच जाते और अभ्यास शुरू कर देते। उस समय तक मैं एक नौसिखिया खिलाड़ी था

(क) मेजर ध्यानचंद का जन्म कब हुआ ?

(i) 1906
(ii) 1904
(iii) 1903
(iv) 1902

उत्तर

(ii) 1904


(ख) सिपाही के रूप में वे सबसे पहले कहाँ भरती हुए ?

(i) फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट
(ii) बर्लिन ओलंपिक
(iii) पंजाब रेजीमेंट
(iv) सैंपर्स एंड माइनर्स टीम

उत्तर

(i) फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट


(ग) फर्स्ट ब्राह्मण रेजीमेंट के सूबेदार कौन थे ?

(i) मेजर बलवंत
(ii) मेजर ध्यानचंद
(iii) मेजर दानवीर
(iv) मेजर तिवारी

उत्तर

(iv) मेजर तिवारी


(घ)  सैनिक मैदान में जाकर क्या करते थे?

(i) दौड़ लगाते थे।
(ii) गप्पें हाँकते थे।
(iii) हॉकी का अभ्यास करते थे।
(iv) मैदान की सफाई करते थे।

उत्तर

(iii) हॉकी का अभ्यास करते थे।


(ङ) ध्यानचंद कैसे खिलाड़ी थे?

(i) कुशल
(ii) नौसिखिए
(iii) श्रेष्ठ
(iv) इनमें से कोई नहीं

उत्तर

(ii) नौसिखिए


प्रश्न 2.

खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक की घटनाएँ होती रहती हैं। खेल में तो यह सब चलता ही है। जिन दिनों हम खेला करते थे, उन दिनों भी यह सब चलता था
सन् 1933 की बात है। उन दिनों में, मैं पंजाब रेजिमेंट की ओर से खेला करता था। एक दिन ‘पंजाब रेजिमेंट’ और 'सैंपर्स एंड माइनर्स टीम’ के बीच मुकाबला हो रहा था। ‘माइनर्स टीम’ के खिलाड़ी मुझसे गेंद छीनने की कोशिश करते, लेकिन उनकी हर कोशिश बेकार जाती। इतने में एक खिलाड़ी ने गुस्से में आकर हॉकी स्टिक मेरे सिर पर दे मारी। मुझे मैदान से बाहर ले जाया गया।

(क) खेल में क्या सब चलता रहता है?

(i) धक्का-मुक्की
(ii) मैदान से भागना
(iii) देर से आना
(iv) सामान चुराना

उत्तर

(i) धक्का-मुक्की


(ख) कौन सा खेल खेला जा रहा था ?

(i) क्रिकेट
(iii) शतरंज
(ii) बैडमिंटन
(iv) हॉकी

उत्तर

(iv) हॉकी


(ग) माइनर्स टीम की गेंद छीनने की हर कोशिश व्यर्थ क्यों जाती थी?

(i) उन्हें खेलना नहीं आता था।
(ii) गेंद ध्यानचंद की स्टिक से चिपक गई थी।
(iii) माइनर्स टीम के खिलाड़ी थक गए थे।
(iv) ध्यानचंद से गेंद छीनना आसान नहीं था ।

उत्तर

(iv) ध्यानचंद से गेंद छीनना आसान नहीं था ।


(घ) माइनर्स टीम के खिलाड़ी को क्रोध क्यों आया?

(i) उसकी टीम हार गई थी।
(ii) उसकी गेंद खो गई थी।
(iii) उसकी स्टिक टूट गई थी।
(iv) भरसक प्रयत्न करने के बाद भी वह ध्यानचंद से गेंद नहीं ले पा रहा था।

उत्तर

(iv) भरसक प्रयत्न करने के बाद भी वह ध्यानचंद से गेंद नहीं ले पा रहा था।


(ङ) ध्यानचंद को मैदान से बाहर क्यों ले जाया गया ?

(i) वे मूर्छित हो गए थे।
(ii) उन्होंने लड़ाई की थी।
(iii) उनके सिर पर चोट लग गई थी ।
(iv) वे अतिरिक्त खिलाड़ी थे।

उत्तर

(iii) उनके सिर पर चोट लग गई थी ।


प्रश्न 3.

थोड़ी देर बाद मैं पट्टी बाँधकर फिर मैदान में पहुँचा। आते ही मैंने उस खिलाड़ी की पीठ पर हाथ रखकर कहा, ” तुम चिंता मत करो, इसका बदला मैं ज़रूर लूँगा । ” मेरे इतना कहते ही वह खिलाड़ी घबरा गया। अब हर समय मुझे ही देखता रहता कि मैं कब उसके सिर पर हॉकी स्टिक मारने वाला हूँ। मैंने एक के बाद एक झटपट छह गोल कर दिए। खेल खत्म होने के बाद मैंने उस खिलाड़ी की पीठ थपथपाई और कहा, “दोस्त, खेल में इतना गुस्सा अच्छा नहीं। मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है। अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते तो शायद दो ही गोल से हराता ।” वह खिलाड़ी सचमुच बड़ा शर्मिंदा हुआ। तो देखा आपने मेरा बदला लेने का ढंग ? सच मानो, बुरा काम करने वाला आदमी हर समय इस बात से डरता रहता है कि उसके साथ भी बुराई की जाएगी।

(क) ध्यानचंद को पट्टी बाँधकर क्यों आना पड़ा ?

(ख) वह खिलाड़ी घबरा क्यों गया?

(ग) ध्यानचंद ने उस खिलाड़ी की पीठ क्यों थपथपाई ?

(घ) ध्यानचंद ने अपना बदला कैसे लिया?

(ङ) इस गद्यांश से क्या सीख मिलती है?

उत्तर

(क) सैंपर्स एंड माइनर्स टीम के एक खिलाड़ी ने क्रोध में आकर हॉकी स्टिक से ध्यानचंद के सिर पर वार किया था। उनके सिर से खून बहना आरंभ हो गया था। इसलिए उन्हें मैदान से बाहर ले जाया गया और पट्टी बाँधी गई।


(ख) ध्यानचंद ने उस खिलाड़ी को चुनौती देते हुए कहा था- ” तुम चिंता न करो, इसका बदला मैं ज़रूर लूँगा।” यह बात सुनकर खिलाड़ी घबरा गया।


(ग) ध्यानचंद ने उस खिलाड़ी का मनोबल गिराने के लिए उसकी पीठ थपथपाई।


(घ) ध्यानचंद ने एक के बाद एक छह गोल करके अपना बदला लिया।


(ङ) खेल को खेल भावना से खेलना चाहिए । प्रतिद्वंद्वी टीम के खिलाड़ी के उत्तेजित करने पर भी मानसिक संतुलन नहीं खोना चाहिए ।


प्रश्न 3.

आज मैं जहाँ भी जाता हूँ बच्चे बूढ़े मुझे घेर लेते हैं और मुझसे मेरी सफलता का राज जानना चाहते हैं। मेरे पास सफलता का कोई गुरु मंत्र तो है नहीं। हर किसी से यही कहता कि लगन, साधना और खेल भावना ही सफलता के सबसे बड़े मंत्र हैं।
मेरा जन्म सन 1904 में प्रयाग में एक साधारण परिवार में हुआ। बाद में हम झाँसी आकर बस गए। 16 साल की उम्र में मैं ‘फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट’ में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हो गया। मेरी रेजिमेंट का हॉकी खेल में काफी नाम था पर खेल में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं थी। उस समय हमारी रेजिमेंट के सूबेदार मेजर तिवारी थे। वे बार-बार मुझे हॉकी खेलने के लिए कहते। हमारी छावनी में हॉकी खेलने का कोई निश्चित समय नहीं था सैनिक जब चाहे मैदान में पहुँच जाते और अभ्यास शुरू कर देते। उस समय तक मैं एक नौसिखिया खिलाड़ी था

(क) बच्चे, बूढ़े ध्यानचंद को घेरकर क्या जानना चाहते थे?

(i) उनकी सफलता का राज़ जानना चाहते थे।
(ii) उनकी हॉकी कंपनी का नाम जानना चाहते थे।
(iii) उनके परिवार के विषय में जानना चाहते थे।
(iv) उनकी रेजिमेंट के विषय में जानना चाहते थे।

उत्तर

(i) उनकी सफलता का राज़ जानना चाहते थे।


(ख) ध्यानचंद जी फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट में किस पद पर भर्ती हुए थे?

(i) मेज़र
(ii) लांस नामक
(iii) सिपाही
(iv) सूबेदार

उत्तर

(iii) सिपाही


(ग) खेल में सफलता का मुख्य मंत्र क्या है?

(i) जल्दी उठना
(ii) दौड़ लगाना
(iii) परिश्रम करना
(iv) लगन, साधना और खेल -भावना

उत्तर

(iii) परिश्रम करना


(घ) ‘उस समय मैं नौसिखिया खिलाड़ी था’ से क्या अभिप्राय है?

(i) नौ दिन से सीख रहा था ।
(ii) खेलना नहीं सीख रहा था ।
(iii) खेलना आरंभ ही किया था।
(iv) ज़बरदस्ती खेलता था ।

उत्तर

(iv) ज़बरदस्ती खेलता था ।


(ङ) किस रेजिमेंट का हॉकी में काफ़ी नाम था ?

(i) बंगाल रेजिमेंट
(ii) सिख रेजिमेंट
(iii) जाट रेजिमेंट
(iv) फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट

उत्तर

(iv) फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट


प्रश्न 4.

जैसे-जैसे मेरे खेल में निखार आता गया, वैसे-वैसे मुझे तरक्की भी मिलती गई। सन् 1936 में बर्लिन ओलंपिक में मुझे कप्तान बनाया गया। उस समय मैं सेना में लांस नायक था। बर्लिन ओलंपिक में लोग मेरे हॉकी खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मुझे ‘हॉकी का जादूगर’ कहना शुरू कर दिया। इसका यह मतलब नहीं कि सारे गोल मैं ही करता था मेरी तो हमेशा यह कोशिश रहती कि मैं गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी खिलाड़ी को दे दूँ ताकि उसे गोल करने का श्रेय मिल जाए। अपनी इसी खेल भावना के कारण मैंने दुनिया के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया बर्लिन ओलंपिक में हमें स्वर्ण पदक मिला। खेलते समय मैं हमेशा इस बात का ध्यान रखता था कि हार या जीत मेरी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।

(क) ध्यानचंद को तरक्की मिलनी कब आरंभ हुई?

(ख) खेलते समय ध्यानचंद किस बात का ध्यान रखते थे?

(ग) उन्हें हॉकी का जादूगर कब और क्यों कहा जाने लगा?

(घ) ‘निखार आना’ से क्या अभिप्राय है?

(ङ) ध्यानचंद गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी को क्यों दे देते थे?

उत्तर

(क) ध्यानचंद के खेल में जैसे-जैसे निखार आता गया, वैसे-वैसे उनकी तरक्की होती गई।


(ख) खेलते समय ध्यानचंद इस बात का ध्यान रखते थे कि उनकी सहायता से उनके साथी भी गोल कर सकें।


(ग) बर्लिन ओलंपिक में उनके खेलने के ढंग को लेकर लोग इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहना शुरू कर दिया।


(घ) ‘निखार आना’ से यहाँ अभिप्राय है कि ध्यानचंद ने लगातार प्रयत्नपूर्वक हॉकी खेलने का अभ्यास किया था। वे इस खेल में काफी दक्ष हो गए थे।


(ङ) ध्यानचंद खेल – भावना का ध्यान रखते थे। वे चाहते थे कि उनके साथ-साथ उनके साथियों को भी गोल करने का मौका मिले, इसलिए वे गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी को दे देते थे।


रचनात्मक प्रश्न (Creative Questions)

प्रश्न 1. पाठ ‘गोल’ हमें क्या शिक्षा देता है ?

उत्तर

पाठ ‘गोल’ से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम जीवन में जिस राह का चुनाव करें पूरी तन्मयता से उसके लिए कार्य भी करें। परिस्थितियाँ कैसी भी हों, कभी अपने मार्ग से डगमगाना नहीं चाहिए। जैसे ध्यानचंद ने जब ‘हॉकी’ खेलने का मार्ग चुना तो बुलंदियों को छूकर ही दम लिया।


प्रश्न 2. ध्यानचंद ने अपने जीवन में खेल भावना को किस प्रकार बनाए रखा? (छोटे अनुच्छेद में उत्तर दें)

उत्तर

ध्यानचंद ने अपने जीवन में खेल भावना को उच्च स्थान दिया। उन्होंने कभी भी प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी को नुकसान पहुंचाने का प्रयास नहीं किया और हमेशा खेल को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से खेला। उन्होंने अपनी जीत को देश की जीत समझा और खेल को अपने लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए खेला।


प्रश्न 3. ध्यानचंद की आत्मकथा 'गोल' का नाम क्यों रखा गया? (संक्षेप में उत्तर दें)

उत्तर

ध्यानचंद की आत्मकथा का नाम 'गोल' इसलिए रखा गया क्योंकि वह एक महान हॉकी खिलाड़ी थे और गोल करना उनके खेल का मुख्य उद्देश्य था। यह नाम उनके खेल और जीवन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।


प्रश्न 4. ध्यानचंद ने बर्लिन ओलंपिक में अपनी टीम का नेतृत्व कैसे किया? (संक्षेप में उत्तर दें)

उत्तर

ध्यानचंद ने बर्लिन ओलंपिक में अपनी टीम का नेतृत्व उत्कृष्टता और खेल भावना से किया। उन्होंने अपने साथी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया, स्वयं उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, और भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


प्रश्न 5. 'खेल में गुस्सा' पर अपने विचार व्यक्त करें।

उत्तर

खेल में गुस्सा करना अनुचित है क्योंकि यह खेल भावना के विपरीत है। गुस्से से खिलाड़ी का प्रदर्शन बिगड़ता है और वह खेल का आनंद नहीं ले पाता। खेल में संयम और धैर्य से खेलना चाहिए ताकि खेल का असली मजा और उद्देश्य प्राप्त हो सके।


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