Chapter 6 मेरी माँ Summary for Class 6 Hindi NCERT मल्हार

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Summary of Chapter 6 मेरी माँ Class 6 Hindi

मेरी माँ की कहानी के लेखक हैं रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ जी।

संक्षिप्त में सार

माँ का आदर्श

  • रामप्रसाद की माँ मुरली देवी का सबसे बड़ा आदर्श था – सत्य और ईमानदारी का पालन करना।
  • उन्होंने अपने बेटे को सिखाया कि जीवन में कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए |
  • सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए।

शिक्षा का महत्व

  • मुरली देवी खुद शिक्षित थीं और उन्होंने अपने बेटे को भी शिक्षा का महत्व समझाया।
  • उन्होंने रामप्रसाद को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया और उन्हें आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी।

साहस और संघर्ष

  • रामप्रसाद की माँ ने उन्हें सिखाया कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए।
  • उन्होंने अपने बेटे को साहस और संघर्ष के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाया।

न्याय और सत्य का पालन

  • मुरली देवी ने रामप्रसाद को न्याय और सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।
  • उन्होंने अपने बेटे को हमेशा सही कार्य करने की सलाह दी, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।

माँ की प्रेरणा

  • रामप्रसाद की माँ उनके जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा थीं।
  • उनकी सिखाई गई बातें रामप्रसाद के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण साबित हुईं।

माँ का शिक्षा के प्रति समर्पण

  • मुरली देवी ने खुद से हिंदी पढ़ना सीखा और अपने बच्चों को भी शिक्षा के प्रति जागरूक किया।
  • उन्होंने रामप्रसाद को पढ़ाई में हमेशा प्रोत्साहित किया और उन्हें मेहनत करने की सलाह दी।

माँ का संघर्षपूर्ण जीवन

  • मुरली देवी ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
  • उन्होंने अपने बच्चों को भी संघर्ष और धैर्य का महत्व समझाया।

माँ की सहनशीलता

  • मुरली देवी बहुत सहनशील और धैर्यवान थीं।
  • उन्होंने अपने बच्चों को सिखाया कि जीवन में धैर्य से काम लेना चाहिए और कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।

माँ का प्यार और स्नेह

  • मुरली देवी अपने बच्चों से बहुत प्यार करती थीं और हमेशा उनके भले के लिए सोचती थीं।
  • उन्होंने रामप्रसाद को प्यार और स्नेह के साथ सच्चाई और न्याय की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया।

माँ का त्याग

  • मुरली देवी ने अपने बच्चों के लिए बहुत त्याग किया और उन्हें हमेशा सही मार्ग पर चलने की शिक्षा दी।
  • उन्होंने अपनी इच्छाओं का त्याग करके अपने बच्चों के भविष्य को संवारने का प्रयास किया।

माँ का आदर्श जीवन

  • मुरली देवी का जीवन सादगी, ईमानदारी, और सेवा का प्रतीक था।
  • उन्होंने अपने बच्चों को भी यही सिखाया कि जीवन में हमेशा सच्चाई और सेवा का मार्ग अपनाना चाहिए।

रामप्रसाद पर माँ का प्रभाव

  • मुरली देवी का जीवन और उनकी शिक्षाएँ रामप्रसाद के जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ गईं।
  • उन्होंने अपने बेटे को एक जिम्मेदार और सच्चा नागरिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

माँ के प्रेरक शब्द

  • मुरली देवी ने रामप्रसाद को हमेशा प्रेरित किया कि वे कभी अपने आदर्शों से न हटें और सच्चाई का पालन करें।
  • उनके प्रेरक शब्द रामप्रसाद के जीवन में मार्गदर्शक बने।


मेरी माँ पाठ का सार

रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म उस समय हुआ जब भारत पर अंग्रेजों का आधिपत्य था। छोटी आयु से ही वे अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए। उनके शौर्य और देशभक्ति की अनेक कहानियाँ हैं। भगत सिंह भी उनकी प्रशंसा करते थे और कहते थे कि यदि बिस्मिल किसी अन्य देश या समय में जन्मे होते तो वे सेनाध्यक्ष बनते।

बिस्मिल ने जेल में रहते हुए अपनी आत्मकथा 'निज जीवन की एक छटा' लिखी। इस पुस्तक ने अंग्रेजों के होश उड़ा दिए और लोगों में स्वतंत्रता की ज्वाला प्रज्वलित कर दी। जेल में भी बिस्मिल ने अंग्रेजों के अत्याचारों का सामना किया। उनकी आत्मकथा ने उन्हें अमर बना दिया। यह आत्मकथा आज भी लोगों को प्रेरित करती है।

उनके जीवन में माता-पिता का विशेष योगदान था। उनकी माताजी ने उन्हें सदैव प्रोत्साहित किया और कठिनाइयों के बावजूद उनका साथ दिया। उनके पिताजी ने एक बार एक अनैतिक कार्य करने के लिए कहा, परंतु बिस्मिल ने सत्य का पालन किया और उसे करने से मना कर दिया।

रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ अपनी माँ को एक साहसी और दृढ़ निश्चयी महिला के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिन्होंने न केवल अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना किया, बल्कि अपने बेटे को भी जीवन के संघर्षों से निपटने के लिए तैयार किया। उनकी माँ एक अनपढ़ गाँव की लड़की थीं, जो कम उम्र में विवाह करके शहर आईं और धीरे-धीरे अपने घर-परिवार के कामकाज को समझा और संभाला। उन्होंने अपनी रुचि और जिज्ञासा के चलते हिंदी पढ़ना-लिखना भी सीखा, जो उस समय की ग्रामीण महिलाओं के लिए असामान्य था।

माँ ने उन्हें हमेशा सत्य, ईमानदारी और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। जब रामप्रसाद ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया, तब भी उनकी माँ ने उनका पूरा समर्थन किया, भले ही यह उनके लिए आसान नहीं था। उनकी माँ का यह कहना कि “कभी किसी के प्राण नहीं लेने चाहिए, चाहे वह शत्रु ही क्यों न हो,” उनके विचारों की उदारता और उच्च नैतिकता को दर्शाता है।

माँ के संस्कार और उनके दिए हुए शिक्षाओं ने रामप्रसाद को एक मजबूत और साहसी इंसान बनाया। उन्होंने बताया कि उनकी माँ ने उन्हें कभी गलत काम करने के लिए नहीं कहा और हमेशा सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी। इस पाठ में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उनकी माँ ने न केवल उन्हें जीवन के व्यावहारिक सबक सिखाए, बल्कि उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन भी दिया।


कहानी से शिक्षा

  • सत्य और निष्ठा का पालन करना।
  • कठिनाइयों का सामना करते हुए भी अपने लक्ष्यों से न डिगना।
  • माताओं का प्रोत्साहन और मार्गदर्शन बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण होता है।
  • स्वतंत्रता और देशभक्ति के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करना।


लेखक का परिचय

  • रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने देश की आजादी के लिए संघर्ष किया।
  • वे अपनी माँ मुरली देवी से बहुत प्रभावित थे।
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